नमस्कार दोस्तों , स्वागत है आपका हमारे इस वेबसाइट www.sensamajup.blogspot.Com दोस्तों आज बताने जा रहे है कि नाई शब्द की उतपत्ति कैसे हुई है। तो आइये जानते है।
"न्यायी" से बना "नाई "
" नाई " शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के 'नाय' से मानी गयी है, जिसका हिन्दी अर्थ है- नेतृत्व करने वाला अर्थात् वह जो समाज का नेतृत्व करे या न्यायी - न्याय करे ।
"नाई" जाति क्षत्रिय वर्ण की चन्द्रवंश शाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है और वैदिक क्षत्रिय है, जो वैदिक कालीन शासक जाति है।
इस जाति के अनेक महान सम्राट, राजा, मंत्री, योद्धा, वीर रक्षक, अंगरक्षक, प्रसिद्ध वैध्य, पंडित (विद्वान), ऋषि, सन्त,योगी, आचार्य आदि श्रेष्ठ व्यक्तित्व रहे हैं।
उत्तर भारतीय न्यायी-''क्षत्रिय- न्यायी''
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महापदम नन्द-नाई ( न्यायी ) और उनकी शिशु नागवशी क्षत्रिय-पत्नी की सताने ''नन्द'' वही महापदम नन्द-नाई ( न्यायी ) और उनकी मुरा-पत्नी की सतान ''मौर्य' के रूप मे जाने गये.
उत्तर - मध्य भारत में निवास करने वाला नाई ( न्यायी ) समुदाय की उत्पत्ति "युगपुरुष" चक्रवर्ती सम्राट 'एकक्षत्र' महाराज श्री महापदम नन्द जी से हुई है।
इसीलिए दक्षिण भारत को छोड़कर भारत वर्ष के अन्य भागों में रहने वाला यह समुदाय मूलतः क्षत्रिय पृष्ठभूमि का चन्द्रवंशीय क्षत्रिय ( नन्द क्षत्रिय ) है
मगध पर शक्तिशाली#नन्द_राजवंश का शासन था, उसका अधिपति सम्राट_महापदम_नन्द था, जो अपने बाहुबल, पराक्रम, राजनैतिक चातुर्य, विस्तारवादी नीति से मगध को एक समृद्ध साम्राज्य में परिवर्तित कर रहा था। सम्राट महापदम नन्द ने अपनी अभूतपूर्व युद्ध नीति से सभी १६ महाजनपदों को विजित कर भारत वर्ष पर नन्द राजवंश का 'एकक्षत्र' शासन स्थापित किया ।
जय जय "न्यायी "नन्द राजवंश" समाज की जय हो ।
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85 Comments
जय जय "न्यायी "नन्द राजवंश" समाज की जय हो ।
ReplyDeleteJay ho
DeleteHame nai hone ka garve hai
DeleteTu to verma hai phir nai kaise
DeleteSir ye nai Sharma hi hote hai Kya
Delete।हा
DeleteJai ho
DeleteKyo ki ye tera bap hai ase....ab samaj gya
DeleteSo kn
DeleteHa I am Mahendra Sharma lucknow 7275467195
DeleteNever
Deletebhot achi jankari hai bhot bhot dhanyvaad , ab bus jroorat hai to isko apne samaj ke sath sath jan jan tak phochane ki
ReplyDeleteजी है आपने बिलकुल सत्य कहा है और ये सब आप लोगो की वजह से पूरा होगा plz आप लोग इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करो।
Deleteधन्यवाद
Hum Nai Kshatriya Ka History bahut Gaurav shali hai
Deleteलेकिन इसका प्रमाण क्या है,मैंने सुना है वेद में भी लिखा है कि नाई क्षत्रिय है लेकिन देखा नही है।वेद में प्रथम चक्रवर्ती सम्राट महापद्मनंद जी का तुलना भगवान परशुराम से किया गया है,और भईया आप गोत्र के बारे में भी एक पोस्ट डालिये क्योंकि 95% लोगों को गोत्र पता नही है।धन्यवाद।नाई समाज की जय।🏹🔱🚩🚩जय श्री राम🚩🚩🔱🏹
DeleteHy
DeleteVikash ji kya aap mante ho ki pade like brahmin ne jo vaid banaye brahmin, shatriye, vaishay, shudra satya h
DeleteAbsolutely current .
ReplyDeleteKya nai rajput cast me se nikla h ... ..?? ???
ReplyDeleteकेवल नाई और राजपूत जाती ठाकुर सरनेम लगा थी ठाकुर का मतलब स्वामी होता है इसलिए नाई कास्ट को क्षत्रिय माना जा सकता है
Deleteएकता ही शक्ति का आधार है,
ReplyDeleteजय सेन जय हिन्द
V. Nys
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ReplyDeleteजिन्होंने भी यह बात कही है उनसे आदर पूर्वक निवेदन है कि इस कथन की पुष्टि करें कि नाई" जाति क्षत्रिय वर्ण की चन्द्रवंश शाखा के अन्तर्गत वर्गीकृत है और वैदिक क्षत्रिय है, जो वैदिक कालीन शासक जाति है।
ReplyDeleteइस जाति के अनेक महान सम्राट, राजा, मंत्री, योद्धा, वीर रक्षक, अंगरक्षक, प्रसिद्ध वैध्य, पंडित (विद्वान), ऋषि, सन्त,योगी, आचार्य आदि श्रेष्ठ व्यक्तित्व रहे हैं।
बहुत से ऐसे नाई समाज के लोग है जो यह नहीं मान रहे हैं वो इसका प्रमाण मांग रहे हैं ।
(महापदम नन्द-नाई ( न्यायी ) और उनकी शिशु नागवशी क्षत्रिय-पत्नी की सताने ''नन्द'' वही महापदम नन्द-नाई ( न्यायी ) और उनकी मुरा-पत्नी की सतान ''मौर्य' के रूप मे जाने गये)
कृपया इसका भी सत्यापन करें ।
इस वंश के राजा, जो अपने को कर्णाट क्षत्रिय, ब्रह्म क्षत्रिय और क्षत्रिय मानते हैं, अपनी उत्पत्ति पौराणिक नायकों नाईब्राह्मण से मानते हैं, जो दक्षिणापथ या दक्षिण के शासक माने जाते हैं। ९वीं, १०वीं और ११वीं शताब्दी में मैसूर राज्य के धारवाड़ जिले में कुछ जैन उपदेशक रहते थे, जो सेन वंश से संबंधित थे। यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि बंगाल के सेनों का इन जैन उपदेशकों के परिवार से कई संबंध था। फिर भी इस बात पर विश्वास करने के लिए समुचित प्रमाण है कि बंगाल के सेनों का मूल वासस्थान दक्षिण था। देवपाल के समय से पाल सम्राटों ने विदेशी साहसी वीरों को अधिकारी पदों पर नियुक्त किया। उनमें से कुछ कर्णाटक देश से संबंध रखते थे। कालांतर में ये अधिकारी, जो दक्षिण से आए थे, शासक बन गए और स्वयं को राजपुत्र कहने लगे। राजपुत्रों के इस परिवार में बंगाल के सेन राजवंश का प्रथम शासक सामंत सेन उत्पन्न हुआ था।
Deleteसामंतसेन ने दक्षिण के एक शासक, संभवत: द्रविड़ देश के राजेंद्रचोल, को परास्त कर अपनी प्रतिष्ठा में वृद्धि की। सामंतसेन का पौत्र विजयसेन ही अपने परिवार की प्रतिष्ठा को स्थापित करने वाला था। उसने वंग के वर्मन शासन का अंत किया, विक्रमपुर में अपनी राजधानी स्थापित की, पालवंश के मदनपाल को अपदस्थ किया और गौड़ पर अधिकार कर लिया, नान्यदेव को हराकर मिथिला पर अधिकार किया, गहड़वालों के विरुद्ध गंगा के मार्ग से जलसेना द्वारा आक्रमण किया, आसाम पर आक्रमण किया, उड़ीसा पर धावा बोला और कलिंग के शासक अनंत वर्मन चोड़गंग के पुत्र राघव को परास्त किया। उसने वारेंद्री में एक प्रद्युम्नेश्वर शिव का मंदिर बनवाया। विजयसेन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी वल्लाल सेन विद्वान तथा समाज सुधारक था। बल्लालसेन के बेटे और उत्तराधिकारी लक्ष्मण सेन ने काशी के गहड़वाल और आसाम पर सफल आक्रमण किए, किंतु सन् १२०२ के लगभग इसे पश्चिम और उत्तर बंगाल मुहम्मद खलजी को समर्पित करने पड़े। कुछ वर्ष तक यह वंग में राज्य करता रहा। इसके उत्तराधिकारियों ने वहाँ १३वीं शताब्दी के मध्य तक राज्य किया, तत्पश्चात् देववंश ने देश पर सार्वभौम अधिकार कर लिया। सेन सम्राट विद्या के प्रतिपोषक थे।
हेमन्त सेन (1070 AD)
विजय सेन (1096-1159 AD)
बल्लाल सेन (1159 - 1179 AD)
लक्ष्मण सेन (1179 - 1206 AD)
विश्वरूप सेन (1206 - 1225 AD)
केशव सेन (1225-1230 AD)
https://books.google.co.in/books?id=4pUQYlepONwC&lpg=PA19&hl=hi&pg=PA19#v=onepage&q&f=false
DeleteJay nai
ReplyDeleteJay sent samaj
Deletesen samaj ek takat bane
ReplyDeleteM proud that we are sen
ReplyDeleteजय सेन जय हिंद
ReplyDeletenayi thakur hote h
ReplyDeleteजय हो नाई समाज
ReplyDeleteJy sen
ReplyDeleteJy Bharat
Jy sen
ReplyDeleteJy bharat
Jy sen
ReplyDeleteJy bharat
Jay sen samaj
ReplyDeleteअनिल शर्मा
ReplyDeleteजानकारि के लिए
लाख लाख शुक्र
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ReplyDeleteबंगाल के सेन राजाओ ने वहां राज किया इस भारत मे जिस वंश ने भी राज किया है वो क्षत्रिय माना जाता है सेन वंश भी राजपूतो का एक प्रमुख वंश है
ReplyDeleteमहाराणा प्रताप की जगह अपने बच्चे की आहुति देने वाली पूरे देश की माँ पन्न्। ध्या जिसके बलिदान से महाराणा प्रताप की जान बची उस माँ को सलाम वो भी तो सेन क्षत्रिय नाई थी
ReplyDeleteRight
DeleteVo khichi(Rajput) thee.
DeleteAap bhi nai ho kya bhai
Deletenai koi kshtriya nhi hai angal ke sen aur nai mein antar hai.yeh sen log sengar aur karn surname use kartey hai aur nai toh shudra hai bhala woh kshtriya kaise.
ReplyDeleteVaidik Kshatriya hai Nayee Samaj.
DeleteNai kshtriya hai kyuki jo nai ka kaam kishor krm woh vedic hai. Aur pehle 16 mukhya sanskaro me se ek mundan sanskar brahman ya acharya krte the pehle baal katne k fashion nhi tha aur jitne bhi vedic kshtriya hai woh sab brahmano se nikle hai issiliye nai vaastav me nyaye brahm kshtriya hai. Sain vedic kshtriya ki upadhi hai issliye sain nai shudra nhi hai bhai mere ye sanskarak purush naapit hai nasoor ka matlab neech nhi hai sanskaran purush hai. Iss jati ko hindu dharm k kuch granth me milavat krke shudra siddh kiya gya hai jab ki nayee vaastav me ved k mutabik vapta hai aur nai nyare shabd ka bigda roop hai. Nai nand vanshi bhi kissi ko bhi sirf jnm se neecha nhi maano bhai.
DeleteTo aap nand bans ki history utha ke dekh lijiye
DeleteRajiv dixit ka you tube per video hai, sen savita nai apne ithas ke bare me (09/06/2017), bhai use dyanse samjana fir muje reply karna, rajiv dixit history ka bahut vidio you tur per hai
ReplyDeleteJai ho Sain vansaj Ki
ReplyDeleteJai naai samaj ki
ReplyDeleteSamaj KO unity me lane k liye samaj se Jude aur apni purane samman KO phir se paaye
ReplyDeleteSahi h nai jati
ReplyDeleteNasi samaj jindabad
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यबाद रवि सेन जी🙏🥀
ReplyDeleteइस जाति के अनेक महान सम्राट, राजा, मंत्री, योद्धा, वीर रक्षक, अंगरक्षक, प्रसिद्ध वैध्य, पंडित (विद्वान), ऋषि, सन्त,योगी, आचार्य आदि श्रेष्ठ व्यक्तित्व रहे हैं।
ReplyDeleteकृपया इसके कम से कम एक-एक उदाहरण देकर ज्ञान वृद्धि करें.
Sahi kahte hai.
Deleteसेन और सैन मै बहुत लोगो को कंफ्यूजन है
ReplyDeleteकोई कहता है कि सेन बंगाल के ब्राह्मण होते है
सैन कहा से आया
सेन और सैन एक है तो सब को एक होना है
वैसे सेन वंश है इतिहास में,
सेन वंश भी नाई है तो खुल के नहीं आते सब
सेन हो या सैन
नाई हो तो एकता मै आओ सब तब काम चलेगा
बिलकुल सही, महापद्मनंद से लेकर चंद्रगुप्त मौर्य, अशोक सम्राट आदि इसी वंश से है।लेकिन इतिहासकारो ने लीपा पोती कर दिया है साला।
Deleteसैन और सेन एक ही बात है ये प्राचीन क्षत्रियो की उपाधि है नाई शुद्र नही न्यायब्रह्मक्षत्रिय सैन है। नायी का काम क्षोर कर्म वैदिक है मुंडन पहले ब्राह्मणों का ही कर्म था । नापित ब्राह्मण की उपाधि है ये वैदिक भाष्यकार sayancharya जी का भी मानना है। कुछ स्मृति ग्रंथो के अनुसार नापित ब्राह्मण का पुत्र है। वैदिक ब्राह्मणों से सारे क्षत्रिय पैदा हुए है। इसीलिए नायी न्यायी ब्रह्म क्षत्रिय है। इतिहास को समझो नाईयो अपने नाम के आगे न्यायी सैन लिखो क्योंकि कल को तुम sc में भी चले गए तो तुम वहाँ भी दबोगे जो तुम्हारे हाल है उस हिसाब से तुम सपने इतिहास कोपहचानों आगे आप की इच्छा भाइयो।
DeleteGood jankari orr asi asi bato se hme ek sikh milti hai thanks for you
ReplyDeleteBadiyaa Bhai sen samaj ki jai ho
Deleteश्रीमान नाई समाज को हाथ मे अस्तुरा और कैंची कैसे आई । वर्ण व्यवस्था में तीन ही जाती हैं ब्राह्मण , क्षत्रिय, शुद्र । सभी को काम के आधार पर जाती वर्ग में बाटा गया था ।।। कृपया मार्गदर्शन दे।
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ReplyDeleteनाई समाज बहुत पीछे है आज के युग मै हम सब को अपने बच्चो को अच्छी शिक्षा देनी चाहिए और अपने कॉस्ट के बारे मै बताना चाहिए बहुत लोग नाई लिखने मै सर्म आती है इसलिए अपने बच्चों को बोलो की जैसे आप सब नै कहा है कि हर राज्य में अलग अलग सर नाम लगते है जैसे Veram, सैन, ठाकुर, श्रीवास्तव,हम सब को साथ आना चाहिए
ReplyDeleteSahi bol rahe ho Bhai nai samaj bhot piche hai koi samaj me btana nhi chahta Mai nai hu log niche najro se dekhte hai samaj mein koi ijjat nhi Deta agar aisa rha to nai samaj ka astitav khatam ho jayega Bhai hum subko sath milkar kuch aisa karne ke jarurat hai taki samaj me Hume bhi sabke baraber samman ijjat mile koi humei sudra ya nai kehkar na bulaye
ReplyDeleteकृपा सर्मपक करें।
DeleteWhatsapp/mo 9891711136
अजय कुमार सेन
कृपा सर्मपक करें।
DeleteWhatsapp/mo 9891711136
अजय कुमार सेन
संदीप कुमार गुंगले चंडीगढ़ पंजाब से हु और पंजाब में बाबा सेन भगत जी के 2 स्थान है एक चंडीगढ़ में एक लुधिअना के पास
DeleteJis Bhai ne ye jaankari di hai uska bhot bhot dhanyavaad.
ReplyDeleteNaai samaj me ekta nhi h ekta hogi toe toe chathriy ka parimad jarur dikega ye sab jald hi krenge
ReplyDeleteJay Sen Jay bharat
ReplyDeleteBilkul sahi kaha bhai saheb aapne
ReplyDeleteLekin ye mission hame jamini star se suru karna padega
Jagana padega sabko
Sanghthan banana padega
Har sahar har ganw se
अरे नायी भाइयो नायी का क्षोर कर्म वासतव में वैदिक कर्म है। पहले उपनयन संस्कारो में 16 मुख्य संस्कारो में से एक मुंडन ब्राह्मण करते थे। वेद में नायी को वपता कहा गया वपता मतलब केश छेदनवाला ब्राह्मणों से क्षत्रिय की उत्त्पत्ति हुई है। वैदिक क्षत्रिय सब ब्राह्मण से निकले भाइयो इससलिये नायी वास्तव में न्यायी ब्राह्मण क्षत्रिय है। नापित का मतलब संस्कारक पुरुष है कोई नीच नही । हिन्दू धर्म के कुछ ग्रंथ में नापित को शुद्र बताया गया पर ये मिलावट है क्योंकि प्राचीन ग्रंथों और अन्य ग्रंथो में स्पस्ट है नापित कोई नीच नही है जागो नाईयो स्वयं को पहचानो
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ReplyDeleteनमस्कार दोस्तो
Deleteमै उत्तर प्रदेश से हू। हम सभी जानते है कि सेन समाज का इतिहास बहुत ही सुंदर है,बहुत ही प्रभावशाली है और हमें अपने समाज बहुत गर्व भी हैं लेकिन इसके बाद भी हममें से बहुत लोग अपनी जाति को छुपाते फिर रहे है ऐसा क्यो मै नहीं जनता? लेकिन ये समस्या हमारे समाज के अस्तित्व को मिटाने की ओर आगे बढ रही है। हमे अपनी जाति बताने में इतना डर कियो लगता है।
दोस्तो 'क्या कारण इन बातो का' इन सवालों को यही छोड़ कर हमें अब इस समस्या के समाधान खोजने की जरूरत है। इसी संबंध में एक विचार मेरे मन में आया है जिससे शायद इस समस्या का समाधान हो जाए। दोस्तो यदि आप मेरी बातो से सहमत है तो आप सबको एक साथ आना होगा तब मै अपना विचार व्यक्त करना चाहूंगा।
Adv kumar ji baat aisi hai ki humari jaati k log apni jaati isiliye chupate hai kyuki bhut saare nai bhaiyo ko apni jaati btane me sharmindgi mahsus hoti hai kyuki nai k kaam aur nai jaati ko heen drishti se dekha jaata hai inhe hr koi bdi asani se apmanit kr deta hai.jb tk nai samaj nai k kaam ko jaati manega iss samaj ka aage badhna bhut mushkil hai kyuki nai ka kaam nai samaj ka pesha hai jaati humari nyay brahm kshtriya ya nyay brahman hai ya koi sain khe savita khe nandvanshi bhi khe woh bhi theek hai
ReplyDeleteFir bal katane aur anya kam nai smaj kyu karane laga. Agar history hai khi p to koi batao with details
ReplyDeleteArey Bhai Sen vanshi Kshatriya alag hai aur nai Sen alag hai dono mein antar hai Sen kshtriya jyadatar bengal , bihar aur gorakh pur mein payee jaate hai. Aur nai log vaastav mein nai hotey hai agar aisa naa ho to nai purane jamane mein upnayan sanskaar mundan kon karta tha.
ReplyDeleteHum to thakur ka title pahle se dalte the kyonki hum raja ke bansaj the lekin humare cast ko sabse niche ke pai dan der lane wala kaon hai hum sirf stura kaichi sambhalte rah gaye kyon humre samjh me padhe likhe nahi the jo apne jati ke history ki jankari nahi thi ab jago sare nai samajh ab apna title nandwanshi nahi thakur ka title do
ReplyDeleteOk nai shaman
ReplyDeleteनाई जाति से संबंधित जानकारी प्राप्त करें और देने की कृपा करें
ReplyDelete9835451480
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